फिजा का रंग अब
बदला सा लगता है
यह सारा शहर ही
जलता हुआ लगता है।
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हरेक शख्स यह
कहता हुआ सा लगता है
लहू का रंग कुछ
बदला हुआ सा लगता है।
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ये ऐसा दौर है जिसमें
कि झूठ जीत गया,
जो आज सच है
वो हारा हुआ सा लगता है
जरा सोचिये क्या बात है
कि दुनिया में हर आदमी
सहमा हुआ लगता है।
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हर एक के दिल में कोई
धुंध और धुआ है
यह कैसा वक्त है
जो ठहरा हुआ सा लगता है।
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विश्वास हो अगर अन्ना सा कोई
हताश लोगों में विश्वास जगा
बुझी शाख में उगलती आग सा लगता है।
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