- धैर्य एवं संयम सही अवसर व सही मार्गदर्शन देती है।
- अहंकार का कोई अस्तित्व नहीं।
- आत्म संतुष्टि एवं आंतरिक संवर्द्धन अन्तरंग खुशी देती है – तमस – विभत्स इच्छा भगाइये, राजस – उर्धग्न सोच दूर रखिये, सात्वता – उज्ज्वल सात्विक इच्छा प्रबल बनाइये
- तीन T’s से सम्हल कर रहिये – थाट्स (गलत विचार), टेम्पर (गुस्सा) एवं टंग (जुबान)
- प्रगाढ़ एवं सफल रिश्ते – सफल परिवार व सफल समाज बनाते हैं।
- सही व्यक्ति को पाने के लिये खुद सही बनो।
- दूसरों के व्यवहार पर टिप्पणी करने से पहले खुद के व्यवहार की समीक्षा करेंसही सोच के साथ।
- वार्तालाप – सफल जिन्दगी की कुंजी है।
- आपस में प्यार व श्रद्धा, रिश्तों को प्रगाढ़ करती है। शब्द व विचारों के साथ, हाव व भाव भी आपकी नींव मजबूत करते हैं।
- सच्चाई – जीवन की नींव है। इसे साध आपस के संबंध को सच्चाई के चरित्र से पवित्र बनाईये। समाज को रोशनी देगी।
- सम्बन्ध – बनाना बहुत कठिन है, तोड़ना आसान है। किसी भी परिस्थिति में सच्चाई एवं समानता केसाथ इसे निभाये।
- प्रार्थना – जीवन का आधार है। मन की पवित्रता एवं एकाग्रता के साथ की गईकोई भी प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाती। मन को शांत और निश्चय को दृढ़ बनाती है।
- सकारात्मक सोच -पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों को निभाते समय सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है – हमेशा दूसरों को बढ़ावा दीजिये, तारीफ करिये, मार्गदर्शन करिये, ढांढस बंधाइये, हर कार्य के लिये उत्साहित करिये।आप आगे बढ़ गये है, समय है आप दूसरों को भी आगे बढ़ायें।
- कोई भी अच्छे कार्य में संकोच मत करिए। उसको आगे बढ़ाइयें, लोग खुद ब खुद साथ आते जायेंगे।
- समय बहुत बलवान होता है। सही समय का इन्तजार और सही मार्गदर्शन आवश्यक है।
- सहिष्णुता जीवन का भाग है। छोटी-छोटी बातों को नजर अंदाज करियें। इन्हें रिश्तों में न आने दें। रिश्ते प्रगाढ़ बनते हैं।
- असफलता – हर कार्य का भाग है। यही कई चीजें सिखाती है। इसकी सीख के साथ सतत प्रयास आवश्यक है सफलता के लिये।
- स्पष्ट विचार – मानसिक एकाग्रता एवं शुद्ध सात्विक विचार जो पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो, और कार्य के प्रति एकनिष्ठता सफलता व संतोष देती है।
- खुले दिमाग से जीवन के हर पहलू को सोचना चाहिये। समझिये कि -हर व्यक्ति अलग है, सुनने की आदत डालें, विचारों को भटकने न दें, मुस्कराकर अभिवादन करें और चेहरे की गंभीरता को सरल व नरम रखें, हाथ जोड़ व शीश झुका कर अभिवादन आपको ऊँचा उठाती है।
- अपने कार्य को सफल बनाने में कार्य की सही दिशा के साथ आपका शीतल व्यवहार एवं सही मनःस्थिति आवश्यक है।
- बड़ों का आदर करिये।
सफलता व खुशी आपका इन्तजार कर रही है। हौंसलों से भी आसमान को छुआ जा सकता है। आगे बढ़ियें . . . . .
Dr. Satish K. Shukla