जिन्दगी के 21 सूत्र

  1. धैर्य एवं संयम सही अवसर व सही मार्गदर्शन देती है। 
  2. अहंकार का कोई अस्तित्व नहीं।
  3. आत्म संतुष्टि एवं आंतरिक संवर्द्धन अन्तरंग खुशी देती है – तमस – विभत्स इच्छा भगाइये, राजस – उर्धग्न सोच दूर रखिये, सात्वता – उज्ज्वल सात्विक इच्छा प्रबल बनाइये
  4. तीन T’s से सम्हल कर रहिये – थाट्स (गलत विचार), टेम्पर (गुस्सा) एवं टंग (जुबान)
  5. प्रगाढ़ एवं सफल रिश्ते – सफल परिवार व सफल समाज बनाते हैं।
  6. सही व्यक्ति को पाने के लिये खुद सही बनो।
  7. दूसरों के व्यवहार पर टिप्पणी करने से पहले खुद के व्यवहार की समीक्षा करेंसही सोच के साथ।
  8. वार्तालाप – सफल जिन्दगी की कुंजी है।
  9. आपस में प्यार व श्रद्धा, रिश्तों को प्रगाढ़ करती है। शब्द व विचारों के साथ, हाव व भाव भी आपकी  नींव मजबूत करते हैं।
  10. सच्चाई – जीवन की नींव है। इसे साध आपस के संबंध को सच्चाई के चरित्र से पवित्र बनाईये। समाज को रोशनी देगी।
  11. सम्बन्ध – बनाना बहुत कठिन है, तोड़ना आसान है। किसी भी परिस्थिति में सच्चाई एवं समानता केसाथ इसे निभाये।
  12. प्रार्थना – जीवन का आधार है। मन की पवित्रता एवं एकाग्रता के साथ की गईकोई भी प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाती। मन को शांत और निश्चय को दृढ़ बनाती है।
  13. सकारात्मक सोच -पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों को निभाते समय सकारात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है – हमेशा दूसरों को बढ़ावा दीजिये, तारीफ करिये, मार्गदर्शन करिये, ढांढस बंधाइये, हर कार्य के लिये उत्साहित करिये।आप आगे बढ़ गये है, समय है आप दूसरों को भी आगे बढ़ायें।
  14. कोई भी अच्छे कार्य में संकोच मत करिए। उसको आगे बढ़ाइयें, लोग खुद ब खुद साथ आते जायेंगे।
  15. समय बहुत बलवान होता है। सही समय का इन्तजार और सही मार्गदर्शन आवश्यक है।
  16. सहिष्णुता जीवन का भाग है। छोटी-छोटी बातों को नजर अंदाज करियें। इन्हें रिश्तों में न आने दें। रिश्ते प्रगाढ़ बनते हैं।
  17. असफलता – हर कार्य का भाग है। यही कई चीजें सिखाती है। इसकी सीख के साथ सतत प्रयास आवश्यक है सफलता के लिये।
  18. स्पष्ट विचार – मानसिक एकाग्रता एवं शुद्ध सात्विक विचार जो पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो, और कार्य के प्रति एकनिष्ठता सफलता व संतोष देती है।
  19. खुले दिमाग से जीवन के हर पहलू को सोचना चाहिये। समझिये कि -हर व्यक्ति अलग है, सुनने की आदत डालें, विचारों को भटकने न दें, मुस्कराकर अभिवादन करें और चेहरे की गंभीरता को सरल व नरम रखें, हाथ जोड़ व शीश झुका कर अभिवादन आपको ऊँचा उठाती है।
  20. अपने कार्य को सफल बनाने में कार्य की सही दिशा के साथ आपका शीतल व्यवहार एवं सही मनःस्थिति आवश्यक है।
  21. बड़ों का आदर करिये।

    सफलता खुशी आपका इन्तजार कर रही है। हौंसलों से भी आसमान को छुआ जा सकता है। आगे बढ़ियें  . . . . .

Dr. Satish K. Shukla

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