आजादी – गंदगी से
आजादी – संकीर्ण सोच से
आजादी – मानवता को विभाजित कर राजनीतिक खेल से
आजादी – नफरत से
आजादी – भूख से
आप अपने जीवन के कई उतार-चढ़ाव के बाद एक ऐसे सुखद स्थिति में पहुँचे हैं, जब आपको अपने परिवार के अलावा समाज को जानने की उत्सुकता जागृत हुई है कि कैसे सुदूरदर्शी व्यक्ति अपने कार्यों से समाज को एक नई दिशा दे क्रान्ति ला सकते हैं। इसे बुझने न दे। गाँधी जी ने मैला ढोने की प्रथा को तोड़ एक आन्दोलन किया था कि घरों से – पुराने जमाने में – पाखाना घर के टॉयलेट से – डब्बों में भरकर म्युनिसपालटी की लारियों में भरा जाता था और वह शहर से बाहर एक जगह इकठ्ठा किया जाता था। विरोध हुआ लेकिन धीरे-धीरे टायलेट की अलग तरह की संरचना शुरू हुई और सीवेज लाइनों शहरों में डलने लगी। गाँवों में शौचालय बनने लगे। आज इस आन्दोलन के 80 साल बाद शौचालय हर घर में हो, का नारा बुलंद हुआ और गाँवों में जागृति आई और घर-घर में शौचालय बनने शुरू हुए। छोटी-सी सोच जब जन जागृति का नारा बन जाती है तब बड़ी से बड़ी समस्या भी साधारण बन पूरे समाज को प्रभावित करती है। यहाँ लायन्स कहाँ खड़े हैं?
आज का सफाई अभियान सही रूप में गाँधीजी की देन है। गाँधी जी ने सन् 1893-1914, साउथ अफ्रीका 1915-1926, भारत सर्वोदय अभियान को एक आन्दोलन बना पूरे भारत में स्वच्छ रहने की एक सीख दी। हर घर, मोहल्ले को साफ रखने की सलाह दी और खुद मोहल्लों-मोहल्लो में जाकर साफ-सफाई करने लगे। पहले साउथ अफ्रीका में व बाद में भारत में हमेशा स्वच्छता पर जोर देते रहते थे। घर में टायलेट की सफाई पर विशेष जोर देते थे। एक बार उनके जन्मदिन मनाने की प्रार्थना कुछ लोगों ने की। गाँधीजी ने कहा – घर की लेट्रिन अच्छी तरह साफ करें यही मेरे जन्मदिन पर आपका तोहफा होगा। सभी जागृत हुए लेकिन समय के साथ भूल गये और वही ढर्रा कि पड़ोसी के घर कचरा फेंक अपना घर साफ रखो। आज फिर वही पुराना नारा लेकिन थोड़ा भिन्न – जन जागृति और लोगों का सहयोग व साथ। यह सिर्फ स्वच्छता अभियान नहीं है बल्कि पर्यावरण सुधारने का सबसे अच्छा तरीका है। इन्दौर शहर देश में सबसे स्वच्छ शहर नं. 1 घोषित हुआ है जहाँ लोगों में गजब की जनजागृति पैदा हुई है कि हर मोहल्ला साफ नजर आता है। पर्यावरण में धूल व अन्य हानिकारक कणों में 30 से 35 प्रतिशत की कमी आ गई है। शहर की हवा साफ हो गई है और शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक बन गई है। इससे साँस व हृदय की बीमारियों में आने वाले समय में बहुत कमी आयेगी। आज फिर यह स्वच्छ अभियान पूरे भारत में लोगों को जागृत कर रहा है। यह अभियान राजनीतिक नहीं है बल्कि सामाजिक है और इसीलिये समाज के सभी वर्ग के लोग एकजुट होकर इसे सफल बनाने में जुटे हैं। इन्दौर आज देश का सर्वोत्तम साफ शहर है जागरूक नागरिकों की वजह से।
यह सब क्यों? सिर्फ आपकी जागरूकता के कारण व लोगों के सामूहिक प्रयासों के कारण। राज्य सरकारें व देश की सरकार आपको रास्ता दिखा सकती है। प्रयास में आवश्यक उपकरण उपलब्ध करा सकती है। सरकारी कर्मचारी मार्गदर्शन दे सकते है, लेकिन जब तक हर नागरिक जागरूक नहीं होगा तब तक कोई भी सामाजिक क्रांति नहीं आ सकती है।
इसी तरह पिछले 60 वर्षों से पोलियो दवा बच्चों को पिला पोलियो मुक्त भारत की कल्पना की गई है। डॉक्टर दवा, नर्स व कार्यकर्ताओं की टीम के साथ, जनजागृति, सामाजिक संस्थाओं का सहयोग (लायन्स क्लब इन्टरनेशनल का विशेष योगदान) अपने लक्ष्य को पा चुका हैं। यह निरन्तर हर वर्ष लाखों बच्चों को दवा देकर इसे पूरी तरह से रोक पाये हैं। यह प्रयास निरन्तर रहना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी एक दो केसेस इधर-उधर देखने में आ जाते है जिसके कई कारण है। आँखों से सम्बन्धित कार्यों ने लायन्स की पहचान बनाई है। इस कार्य को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाइये। यही लायनवाद का लक्ष्य है। लायन्स क्लबस इन्टरनेशनल को साधुवाद। आप सभी लायन सदस्य धन्यवाद के पात्र हैं।
इसी तरह Food for all के तहत सरकार सस्ते में अनाज उपलब्ध कराकर malnutrition जैसी समस्या को काफी हद तक ठीक कर पाई है। फिर भी भूख से मौत होती देखी जाती है। लायन्स क्लबस व अन्य सामाजिक संस्थायें खाने का प्रबंध कर भूखों का पेट भरने की कोशिश करती है अपने कई केन्द्रों द्वारा। भूख से मौत क्यों? भूख एक समस्या है। अफ्रीका व एशिया के गरीब देशों में, जिसमें भारत जैसा उन्नत देश भी शामिल है। हम विज्ञान में कहाँ से कहाँ पहुँच गये है, लेकिन अपने नागरिकों का एक बहुत बड़ा वर्ग बहुत पिछड़ा है और आज भी भूख उसकी समस्या है।
अनाज भण्डार भरे हैं। अनाज की कमी नहीं है। लेकिन भूख से मौत एक अजीब पर्यायवाची है, दुखद योग है। इसके मूल में जाकर सही कारण जान उसे सुधारने की आवश्यकता है न कि मुफ्त भोजन या कम पैसों में भोजन उपलब्ध कराना। जिस तरह स्वच्छ अभियान या पोलियो मुक्त भारत जहाँ भारत सरकार के साथ NGO’s एवं अन्य समाजसेवी संस्थाओं ने मिलकर सही योजना के साथ इसे सफल बनाया है। उसी तरह सभी मिलकर सही सोच एवं सच्ची लगन से काम करें तो कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोयेगा। भोजन की उपलब्धता का लाभ उन्हें मिल रहा है जो कहीं न कहीं भोजन लेते रहते है और भूख से नहीं मर रहे है। यह एक अलग गु्रप है जो अछूता है हमारी सेवाओं से। क्या एक जन आन्दोलन बेसहारा, भूखों के लिए शुरू नहीं हो सकता। मूल कारण में जाकर सरकार की कई अच्छी-अच्छी स्कीमों को लेकर लोगों को जोड़ ऐसी समस्या का समाधान क्यों नहीं किया जा सकता है? यह आवश्यक है सरकार से जुड़े इन कर्मचारियों का जो इन सब अच्छी योजनाओं से जुड़े है, उनका व समाजसेवी संस्थाओं को जोड़ इस अभियान को सफल बनाना। इसके लिए जन आन्दोलन जरूरी है जहाँ स्वच्छ अभियान की तरह – सरकारी मशीनरी व जनता साथ जुड़ एक रास्ता निकाल इस देश की छबि को उभार सकते हैं और एक भारतीय नागरिक को भूखे नहीं सोने देने के कर्तव्य और नारे को पूरा कर सकते हैं।
भारत की पुरानी सामाजिक सभ्यता और मूल्यों को देखें तो सदियों से भूखों को दान देना एक पवित्र धर्म माना जाता रहा है। महात्मा बुद्ध और उनके अनुयायियों ने हजारों साल भिक्षा के साथ समाज की कुरीतियों को दूर कर एक सफल साम्राज्य की स्थापना में पूरे एशिया में मार्गदर्शन दिया। आज भी आस्था के तहत मंदिरों में प्रसाद और भोजन चढ़ाया जाता है, भगवान के उन उपेक्षित लोगों के लिये जिन्हें अन्न उपलब्ध नहीं है। लेकिन – उसकी सुध लेने वाले धार्मिक व्यापारीकरण में खो गये हैं। इसे धर्म से न जोड़ें, मानवता से जोड़ें व समझें।
हर व्यक्ति में एक छोटा-सा भाव दया व सेवा का होता है। उसे जाग्रत करें। आपके आसपास कई समाजसेवी संस्थायें है जो गरीबों को व मरीजों को भोजन देती हैं, लेकिन यह प्रयत्न बहुत छोटा है। आप सभी मिलकर सोच-समझकर उन गरीब परिवार तक पहुँच सकते है जहाँ भोजन उपलब्ध नहीं है। सोचिये और आगे बढ़ियें।
खुशी है कि हमारे समाज के लोग हर विषम परिस्थिति का सामना करते हुए आगे बढ़ कार्य करने लगते है। यह इस देश की अभूतपूर्व परम्परा है कि किसी भी कठिन परिस्थिति में सभी एकजुट हो काम कर समाज को नई ऊँचाईयों तक पहुँचाते हैं। आवश्यकता है एक सही लीडर की।
आप एक सच्चे व अच्छे इन्सान है। आपकी अपनी अलग-अलग रूचि है। यह क्षण आपका है। आप इस क्षण का उपयोग अपने आपको पहचानने में लगाइये और समय के साथ हर क्षण को सार्थक बनाइये और एक निर्णय लेकर जो आपकी रूचि का हो उसमें ढाल कर अपने आपको विकसित करें। फिर देखिये आपके साथ उसी वेवलेन्थ वाले लोग जुड़ते चले जायेंगे और समाज को फायदा मिलेगा। आप आप है लेकिन आप ही अपने से दूर है। यह दूरी कम कीजिये और अपने आपको समझने की कोशिश करिये। दूसरों की नकल न करिये। दूसरों के बहकावे में न आइये। सेवा को राजनीति का अखाड़ा मत बनाइये। नहीं तो आपके उद्देश्य पीछे रह जायेंगे और आप अपने से ही दूर होते चले जायेंगे।
मुझे हर व्यक्ति में अच्छाई नजर आती है। सभी का व्यक्तित्व विचारोत्तक है। गुणों से भरा है, पर छिपा है। अच्छी बातों से उनके गुण निखरने लगते हैं लेकिन राजनीतिक बातों से वह खुद में गुम हो जाते हैं और अपने से अलग कार्यों में जुड़े साथियों के साथ अपनी पहचान खो देते हैं। ऐसा मत होने दीजिये। अपनी सही बातों को सामने लाइये व अपनी प्रतिभा को जागृत कीजिये। आप जैसा कोई नहीं। आप ही, और आप सभी मिलकर अपने आपको समझ एक सही दिशा पहचान, इस देश को एक नई ऊँचाई दे सकते हैं।
समय आपके साथ है। साथ बढ़िये और सही सोच के साथ, सही व्यक्तियों से हाथ में हाथ मिला, समाज को सही दिशा दिला नये भारत के निर्माण में योगदान दे सकते हैं। हमारे सही इरादे, विश्वास व हौंसले भारत को विश्व में एक सही स्थान दिला सकते हैं।
15 अगस्त – स्वतंत्रता दिवस है। आजादी का दिन है। आप भी कुंठित मानसिक वृत्ति से आजाद हों और सही रूप से आजादी का जश्न मनाइये।
बहुत-बहुत शुभकामनायें।