उन्नति का मार्ग: दूसरों की ओर दृष्टि और विनम्रता

जैसा कि कहा जाता है, “उन्नति तभी सम्भव है जब दूसरे की तरफ दृष्टि रखें।”

मत्त, प्रमत्त और उन्मत्त – तीन गिरने के सोपान:

मत्त: अहंकार और घमंड में डूबा व्यक्ति मत्त कहलाता है। वह अपनी उपलब्धियों पर इतना गर्व करता है कि दूसरों को नीचा देखने लगता है। यह भावना उसे अंधा कर देती है और वह गलत निर्णय लेने लगता है, जिसके कारण उसका पतन हो जाता है।

प्रमत्त: लापरवाह और असावधानी बरतने वाला व्यक्ति प्रमत्त कहलाता है। वह अपने कामों को गंभीरता से नहीं लेता और गलतियाँ करता रहता है। धीरे-धीरे ये गलतियाँ उसे असफलता की ओर ले जाती हैं।

उन्मत्त: जो व्यक्ति अपने आपको सर्वोपरि समझता है और दूसरों को नीचा देखता है, वह उन्मत्त कहलाता है। यह अहंकार उसे अंधा कर देता है और वह गलत रास्ते पर चलने लगता है।

तरक्की में रोड़ा:

1. अड़ियल रूख: जो व्यक्ति अपनी सोच और विचारों में अड़ियल होता है, वह कभी भी तरक्की नहीं कर सकता। उसे दूसरों की बात सुनने और नई चीजें सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए।

2. ठहर जाना: जो व्यक्ति अपनी जगह पर रुक जाता है और आगे बढ़ने का प्रयास नहीं करता, वह धीरे-धीरे पीछे छूट जाता है। तरक्की के लिए सतत प्रयास करते रहना आवश्यक है।

उन्नति के लिए उपाय:

  • दूसरों से प्रेरणा लें: अपने से बेहतर प्रदर्शन करने वाले लोगों को देखें और उनसे प्रेरणा लें। उनके अनुभवों और सफलता की कहानियों से सीखें।
  • अपनी गलतियों से सीखें: कोई भी इंसान परिपूर्ण नहीं होता। गलतियाँ सभी करते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि अपनी गलतियों से सीखें और उन्हें दोबारा न दोहराएं।
  • कठिन परिश्रम करें: सफलता के लिए कठिन परिश्रम और लगन आवश्यक है।

याद रखें:

  • अहंकार और घमंड से दूर रहें।
  • दूसरों का सम्मान करें।
  • अपनी गलतियों से सीखें।
  • कठिन परिश्रम करें।

इन सबके द्वारा आप जीवन में सफलता और उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।

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