हमारे पतन के कारण: मोह, मद, राग, विषाद, ईर्ष्या, निंन्दा, कुटिलता

मनुष्य का जीवन सुख और दुख का मिश्रण है। हम अनेक बार जीवन में सफलता और खुशी का अनुभव करते हैं, तो वहीं कई बार असफलता और दुख का भी सामना करना पड़ता है।

कई बार मनुष्य स्वयं ही अपने पतन का कारण बन जाता है। मोह, मद, राग, विषाद, ईर्ष्या, निंन्दा, कुटिलता जैसे नकारात्मक भाव और विचार मनुष्य को गलत रास्ते पर ले जाते हैं और उसे पतन की ओर धकेलते हैं।

  • मोह: भौतिक सुखों और धन-दौलत के प्रति अत्यधिक मोह मनुष्य को लालची बना देता है। वह गलत तरीकों से धन कमाने का प्रयास करता है, जिसके कारण उसका पतन हो सकता है।
  • मद: सत्ता और शक्ति प्राप्त करने के बाद जब व्यक्ति अभिमानी हो जाता है, तो वह मद में चूर हो जाता है। वह दूसरों को नीचा दिखाता है और गलत काम करता है, जिसके कारण उसका पतन हो जाता है।
  • राग: अत्यधिक कामुकता और लैंगिक इच्छाओं में डूब जाना मनुष्य को भ्रमित कर देता है। वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए गलत रास्ते अपनाता है, जिसके कारण उसका पतन हो जाता है।
  • विषाद: निराशा और दुख में डूब जाना मनुष्य को कमजोर बना देता है। वह जीवन में आगे बढ़ने की इच्छाशक्ति खो देता है और धीरे-धीरे पतन की ओर बढ़ता है।
  • ईर्ष्या: दूसरों की सफलता और खुशी को देखकर ईर्ष्या करना मनुष्य को नकारात्मक बना देता है। वह दूसरों का बुरा चाहता है और गलत काम करता है, जिसके कारण उसका पतन हो जाता है।
  • निंन्दा: दूसरों की बुराई करना और उनकी आलोचना करना मनुष्य को नकारात्मक बना देता है। वह समाज में अलोकप्रिय हो जाता है और धीरे-धीरे पतन की ओर बढ़ता है।
  • कुटिलता: दूसरों को धोखा देना और उनका फायदा उठाना मनुष्य को अविश्वसनीय बना देता है। वह समाज में सम्मान खो देता है और धीरे-धीरे पतन की ओर बढ़ता है।

निष्कर्ष:

मोह, मद, राग, विषाद, ईर्ष्या, निंन्दा, कुटिलता जैसे नकारात्मक भाव और विचार मनुष्य को पतन की ओर ले जाते हैं। हमें इन नकारात्मक भावों से दूर रहना चाहिए और सकारात्मक सोच विकसित करनी चाहिए। सकारात्मक सोच ही हमें सफलता और खुशी की ओर ले जा सकती है।

याद रखें:

  • नकारात्मक भावों से दूर रहें।
  • सकारात्मक सोच विकसित करें।
  • अच्छे काम करें।
  • समाज में दूसरों की मदद करें।

इन सबके द्वारा हम जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त कर सकते हैं।

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