एक खुशनुमा माहौल में कम्पनी के नये – मार्केटिंग डायरेक्टर को स्वागत की पार्टी में सभी सपत्निक शामिल हुए। एक पत्नी ने नए डायरेक्टर की पत्नि से पूछा –
क्या आपके पति आपको खुश रखते हैं।
पतिं दूर खड़े सुन रहा था और पत्नि के उत्तर की प्रतिक्षा कर रहा था क्योंकि दोनों? बहुत खुश थे – आपस में।
पत्नि ने कहा – नहीं वह मुझे खुश नहीं रखते।
पति को ऐसे उत्तर पर विश्वास नहीं हुआ।
लेकिन मैं खुश हूँ
मेरी खुशी मेरे पति पर निर्भर नहीं है। पर मुझमें निहित है।
(1) मैंने हर परिस्थिति में खुश रहना सीखा है अगर दूसरों पर मेरी खुशी निर्भर रहती तो मेरी जिन्दगी- क्या होती बता नहीं सकती।
(2) जिन्दगी में हर समय बदलता रहता है चाहे वह आपके साथी हो, दोस्त हो, आपका शरीर हो, मौसम हो या अन्य सुख की वस्तुएँ हो।
मैंने अपनी जिन्दगी से सीखा है खुश रहो – हर पारिस्थितियों में।
(3) अनुभव व परिस्थितियां आपको अपने पति के साथ – समझौता कर खुश रहना सिखाती है।
(4) खुशी – भूलने एवं दूसरों को माफ कर आगे बढ़ने में है, और खुद को व दूसरों को प्यार करने में है।
(5) मेरे पति की जवाबदारी नहीं है कि वह मुझे खुश रखे। लेकिन हम दोनों की आपसी समझ व प्यार – समर्पण – हमे खुश रखता है।
(6) समय गतिमान है। बदलाव ही जिन्दगी है। प्यार भी समय के साथ अलग परिभाषा में सामने आता है बदलाव आता ही है। हमें इन सबके साथ एक-दूसरे को समझ आगे बढ़ना है, गलतियों का भुलाना है एवं अनुभव व परिस्थितियों के मुताबिक अपने को मजबूत कर एक दूसरे का सच्चा साथ देना है। अन्यथा हम सिर्फ साथ रहेंगे।
(7) क्प्टव्त्ब्म् . तलाक सबसे आसान है।
(8) सच्चा प्यार – हर परिस्थितियो में कठिन है। दोनों अगर चाहे तो थोड़ा ऊपर उठ कर – इस मजबूत रिश्ते को प्यार से और मजबूत कर सकते हैं।
(9) लोग कहते हैं – मैं खुश नहीं हूँ क्योंकि बीमार हूँ, पैसा नहीं है, सर्दी है, गर्मी है आदि (फिल्म आनन्द)
लेकिन हर परिस्थिति में भी आप खुश रह सकते हैं, यह आपके ।जजपजनकम पर निर्भर है।
खुशी आप पर निर्भर है।