एकान्तता, एकाग्रता एवं चिन्तन

            एकान्तता, एकाग्रता एवं चिन्तन का अहसास जीवन के ऐसे समय आता है जब दो तिहाई जीवन बीत चुका होता है। व्यक्ति दिन भर के कार्यों से, जहाँ हर क्षण व्यक्ति समूहों से विचारों के द्वन्दों के बाद अपने कार्य को अधिक शक्ति व गति देते हुए, कुछ समय अपने साथ बिताना चाहता है शायद तब काफी देर हो चुकी होती है। एकान्त चाहता है और यह पल उसे शारीरिक व मानसिक संतुलन देता है तथा शरीर की थकान को दूर कर कुछ ही क्षणों में ताजगी देता है। यहाँ एकान्तता के साथ एकाग्रता चाहिए जिसके जरिये अपने मनोभावों को सही रूप से सही सोच के ढाँचे में रख, पूर्ण संतुष्टि के साथ, शरीर को सरल व तरल रख, नम्रता का आभास कराता है। जीवन में जो भी समय मिले खुद को अपने आपमें रखने का एवं समग्र चिन्तन करने का प्रयास करें। शनैः शनैः शांति का अहसास होता है। यही एकांत समय आपका है, बाकी दूसरों का। इसे अपना बनाइये और एकाग्रता के साथ शरीर व मानसिक गतिविधियों को शून्य कर एक तरल अवस्था में जाकर सुख के सही रूप का आनन्द लीजिये। मित्रों यही है शून्यता का आभास, जब आप अपने ही शरीर के अंदर अपने आपको पाते है, अपने आपसे बातें करते हैं और अपने आपको समझते हैं। ज्ञान आपको दूसरों के दर्शन कराता है पर स्वःज्ञान आपको अपने दर्शन कराता है। यौगिक विद्या हमें यही सिखाती है और शरीर व मन को एक ही लक्ष्य में बाँध दिव्य चेतना देती है और सूक्ष्म में अन्तर् त्मा से मिलाती है। अनुभव की बात है। तपस्या है। इसे निरन्तर निखारिये। आप ही नहीं समस्त परिजन जो आपके साथी है उन्हें भी इसका अहसास होगा और वातावरण शांत और शुद्ध होगा। प्रकृति ने यही भौतिक सृष्टि की है जहाँ सुकून और अभिलाषा सीमित है। सभी के लिये है और सभी के साथ है। व्यवस्था बदलती रहेगी पर मनुष्य अपने मनोयोग से उसके उत्तर पहचान सभी को सही मार्ग दिखा, सच्चे समाज की संरचना में योगदान देता रहेगा। सांसारिक प्रपंच चलते रहेंगे, इसमें ठंडक का अहसास लिए और जीवंत बना मानव जीवन को सार्थक बना सकते हैं।

            वही व्यक्ति ही संसार को मार्गदर्शन देता है जिसे सही आभास है, प्रकृति के नियमों का जहाँ हर व्यक्ति सर्वोपरि है। वह सही रूप से मार्गदर्शन देगा तभी आप उसे अपना गुरू समझ आगे बढ़ेंगे। आज के सामाजिक जीवन में राजा (देश का प्रधान) ही देश का निर्माण करता है, व्यक्ति समूह को सही मार्गदर्शन देकर उनकी सुख सुविधा को ध्यान में रख एक सुखी साम्राज्य की स्थापना करता है। एक सही व्यक्ति जो अपने से परे दूसरों का ध्यान रख उसके सुख की कल्पना कर कार्य करता है वह राज्य में लोकप्रिय हो सकता है पर कुप्रपंचों के जाल में घिरता जाता है। उन लोगों से जिनका हित छुपा होता है। जीवन का नियम है सभी का सुख आपका सुख हैं पर एक विशेष वर्ग का मतलब खुद का स्वार्थ और सुख ही सर्वोपरि होता है चाहे दूसरों का कितना भी अहित हो। चाण्डाल व प्रपंचकर्ता हर युग में रहे है लेकिन विजय सत्यदर्शी, एकाग्र चित्तता, समग्र मानव हितकारी की ही होती है। दुख का रास्ता अवश्य होता है लेकिन ईश्वर बिना तपस्या लिये, खुशी भी नहीं देता है।

            समाज व्यक्तियों के समूह से बनता है और इस समूह में हर व्यक्ति की अपनी जिम्मेदारी होती है, जिसके तहत समाज की क्रियाएं चलती है और समाज एक पथ पर आगे बढ़ सभी के हित के कार्य कर समाज को खुशहाल बनाता है। यह व्यक्ति ही है जो अपनी बुद्धि और ताकत से समाज के अन्य व्यक्तियों को प्रभावित कर मार्गदर्शन देता है। मार्गदर्शक व उसके सही साथी अगर अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझ, जनहित एवं संस्थाहित में निर्णय लेकर, समाज व संस्था को सर्वोपरि समझ निर्णय लेते हैं तो एक न्यायपूर्ण व्यवस्था, खुशहाली का वातावरण और तर्कसंगत खुशहाल समाज की स्थापना होती है। निर्णय में गलती या नासमझगी जायज है पर यह किसी प्रायोजित अभिप्राय के कारण न होने से दोष रहित है एवं सभी को मान्य होती है।  द्ध

            मनुष्य का स्वार्थ एवं गर्व जो खुद को महान समझे अँधेरे में गुम हो जाता है। व्यक्ति का पद चिरस्थायी नहीं होता है परन्तु सत्य चरित्र स्थायी होता है और व्यक्ति का संबल होता है। दुख जीवन का अंग है और प्रपंच का जाल हमेशा विद्यमान रहता है। दृढ. निश्चय सही सोच एवं स्वःविश्वास जीवन के मार्ग में सभी कठिनाईयों के बावजूद एक सही दिशा देकर जीवन को सफल बनाता है। देर अवश्य होती है लेकिन ढांढस के साथ सामना कर विपरीत परिस्थितियों को भी अपने व समाज के हित में मोड़ एक सफल व्यक्ति, सफल समाज की स्थापना करता है। सत्य की पहचान देर सबेर अवश्य होती है पर जीवन को रोशन कर सार्थक करती है।

            व्यक्ति का चिन्तन उसे निर्भीक एवं सही रास्ते का ज्ञान देता है और वही अपने सही ज्ञान से समाज को सही मार्गदर्शन दे सभी को सुख का अहसास दिला, सुखी और खुशहाल समाज की स्थापना में योगदान देता है जहाँ हर व्यक्ति अपनी जवाबदारियों के अलावा दूसरों की मदद व सही मार्गदर्शन देना अपना कर्तव्य समझता है। क्या हम अपने गर्व को त्याग, धनोपार्जन की मीमांसा को छोड़, मानव व्याधियों को समझ, मानव सेवा को अपना लक्ष्य बना सकते है?

            आइये, हम सब मिलकर संकल्प करें, एक संतुष्ट व खुशहाल समाज की जहाँ बंधुत्व व प्यार की भाषा एक दूसरे को बाँध कर गौरवपूर्ण व सुखी समाज की स्थापना हो।

Dr. Satish K. Shukla

M.S., F.I.C.S., F.A.C.S., FRCS, Oncologist (USA)

President, Association of Surgeons of India (2014)

Director, Lakshmi Memorial Hospital and Research Centre, Indore

Professor & H.O.D. Surgery (Retd.) M.G.M. Medical College & M.Y. Group of Hospitals, Indore

Chairman/Chief Editor Indian Journal of Surgery (2003-2013)

Governing Council Member ASI (1991-97)

President, Indian Association of Surgical Oncology 1993

Medical Scientist of the Year LIMCA Book 1996

District Governor Lions Clubs International Dist. 323-G1 (2004-05)

Associate Editor – The Lion Magazine International (2013-15)

Chairman – Managing Committee, K.K. College of Science & Professional Studies

Chairman – Managing Committee, K.K. Nursing College, Indore

ICON SURGEON OF SAARC Nations – SAARC Surgical Society 2015

SAARC – ASEAN Coordinator Teaching and Learning Programme 2014-17

Life Time Achievement Award – 2017 Association of Surgeons of India

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